शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

नक्सलवाद और देश

पिछले तीन सालो में आतंकवादी वारदातों में जंहा लगभग साढ़े चार सौ लोग मारे गए है वही नक्सलियों ने तीन साल में ढाई हजार लोगो की हत्या की.पिछले एक दशक के आंकड़ो पर गौर करे तो एक दो वर्षो को छोड़ पिछले वर्ष की अपेक्षा  ह्त्याओ में वृद्धि हुई है.इसकी भयावह तस्वीर निर्दोष लोगो की हत्या एवं रास्ट्रीय सम्पति को क्षति के रूप में सामने आती है.
                                                       पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी गाँव से १९६७ में चारू मजुमदार ने हिंसा की शुरुआत की.नक्सलवादियो का दर्शन कहता है कि वे पूंजीवादी सरकार की बाजारवादी व् समाज में गैर बराबरी बढाने वाली नीतियों के विरोध में  और गरीबो के हित में लड़ रहे है.इसमें सच का प्रतिशत कितना है यह एक बड़ी विडम्बना है .
                                     १९७० और १९८० के दशक में नक्सलवाद का प्रभाव पहले केवल बंगाल में लेकिन अब पूर्व के साथ दक्षिण के राज्यों में भी खासा असर है.फ़िलहाल देश के २० राज्यों के २२० जिलो में सक्रिय है .देश के कुल क्षेत्रफल के ४०%हिस्सों में नक्सलवाद की मौजूदगी है.९२००० वर्ग किमी के विशेष क्षेत्र जिसे वे रेड कारीडोर कहते है में सक्रियता ज्यादा है.पश्चिम बंगाल,उड़ीसा ,छतीसगढ़ ,आंध्रप्रदेश ,महारास्ट्र,झारखंड ,बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य नक्सलियों से ज्यादा प्रभावित है. रा के मुताबिक नक्सलियों की टीम में २०,००० सशत्र कैडर और ५०,००० नियमित कैडर है.
                                                                देश के कुछ हिस्सों में जैसे झारखंड में नक्सली समस्या भयावह है.राज्य के कई इलाको में नक्सलियों की हुकुमत चलती है.उनके एक आह्वान पर पूरा राज्य ठप हो जाता है.वही बिहार में कही कोई बड़ा नक्सली नेता पकड़ा जाता है तो कई रेल मार्गो पर पटरियो पर विस्फोट हो जाते है .
                                                          नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में स्थिति गंभीर है और देश की आंतरिक सुरक्षा हेतु यह एक बड़ा खतरा है.जनता बेहद डरी है और नक्सली बेख़ौफ़ होकर कारनामे कर रहे है .इनके पास न सिर्फ अत्याधुनिक हथियारों का बड़ा  जखीरा है बल्कि लोगो को व्यवस्था को  कमजोरियों के खिलाफ लामबंद करने और सरकार की नीतियों को
परास्त करने की कुंजी भी इनके हाथ में है .
                                             नक्सलवाद की समस्या को रोकने के लिए मानिटरिंग जारी है पुलिस क्षेत्राधिकारियो की देखरेख में कैम्प भी लगाये जा रहे है .जनसहयोग भी लिया जा रहा है.राज्यों द्वारा पडोसी राज्यों से भी ख़ुफ़िया जानकारियों का आदान प्रदान किया जा रहा है जिससे हालत से निपटा जा सके.पुलिस सुरक्षात्मक और विकासात्मक सिद्धांतो पर कार्य कर रही है .
                                      देश की आन्तरिक सुरक्षा को खतरा पहुचाने वाली इस समस्या के निदान हेतु व्यापक रणनीति बनाने की आवश्यकता है .इसमें कार्यरत उग्रवादी तत्वों के साथ सख्ती से पेश आने की आवश्यकता है तथा स्थानीय स्तर पर विकास कार्य क्रम लागू कर क्षेत्रीय लोगो का विश्वास प्राप्त करने की आवश्यकता है

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

वो औरते

 औरते,वो औरते
चटक रंगों की तरह
 रंग बिरंगी
जिन्हें देख मन सोचता है ........
क्या अंतर है ?मुझमे और उनमे
मै भी तो उन्ही की तरह ही एक स्त्री हूँ..........
उन्ही की तरह बन्धनों से जकड़ी
और परेशानीयों से घिरी हुई  ........
वो मेरी तरह ही हाड़ मांस की बनी है,
मेरी ही तरह दर्द को झेलती है
पर उन्हें लोग गन्दी औरते क्यों कहते है?
लोग, तथा कथित लोग ,
सभ्य समाज का मुखौटा पहने हुए,
जो दिन में उन्हें गन्दी औरतो के
विशेषण से विभूषित करते है .......
और रात उनकी चरणों में खुद को
समर्पित करते है .......
शायद यही समाज है .......
इसे समाज कहते है
दोहरे चेहरे का समाज .............

सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

बैंगन पर बवाल

अब तक रसोई में रहने वाला बैंगन अचानक चर्चा में आ गया है.यह चर्चा सत्ता के गलियारे से लेकर पर्यावरणविदो एवं वैज्ञानिको के बीच भी हो रही है .........यह चर्चा बी टी बैगन को लेकर हो रही है ..........
                                                       बी टी बैगन जेनेटिकली मोडीफाइड खाद्य फसल है.जेनिटिकली मोडीफाइड फसले यानि ऐसी फसले जिनके डी एन ए में मामूली से परिवर्तन कर के उनमे मनचाहा परिवर्तन और आकार प्रकार में गुणवत्ता प्राप्त की जा सकती है. जेनेटिकली मोडीफाइड फसलो से जुड़ा मामला १९९६ में पहली बार आया था.
                                                            बी टी बैगन से जुड़े मुद्दे पर बवाल इसलिए हुआ है क्यूकि बी टी बैगन को खाने से मनुष्य पर क्या असर पड़ेगा? पर्यावरण पुरोधाओ को डर है कि निषेचित जीन अपने कार्य से इतर कारवाई कर सकता है जिस कारण अन्य पोधो को भी नुकसान पहुचने का खतरा बना हुआ है. वैसे भी हमारे पर्यावरण को विज्ञानं और तकनीकी ने किस क्षति पहुचाई है यह बात किसी से छिपी नहीं है .........
                                                              वैसे तो परम्परागत बैगन के बाजार से जाने पर डायबिटीज टाइप २ पर लगाम
अवश्य लगेगी  लेकिन  इसकी  कोई  गारंटी नहीं है कि बी टी बैगन परेशानिया नहीं खड़ी करेगा .........क्या उससे कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या  नहीं खड़ी होगी यह एक विचार का मुद्दा है .............
                                                भारत में बी टी खाद्यान पर उठी बहस को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि वह फ़िलहाल बी टी बैगन की खेती को रोके रखेगी.उसके बाद इस पर किस प्रकार का कानून बनता है और उसके लागू होने के बाद क्या परिणाम होगा यह तथ्य तो भविष्य के गर्भ में है तब तक हम अपने परम्परागत बैंगन से आनन्दित होते है ...........

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

प्रेम की सजा

आज वेलेनटाइन डे के अवसर पर जब प्यार और रोमांस की चर्चा चारो ओर हो रही है प्यार को सजा से जोड़ना थोडा बेतुका लगता है .लेकिन हमारे समाज में ही इस प्रकार के प्रसंग आ चुके है तो चर्चा आवश्यक हो जाती है ............
                                           लगभग हर महीने सगोत्र विवाह एवं अंतरजातीय विवाह करने वाले युवाओ को उनके ही परिजनों द्वारा मार दिए जाने से सम्बन्धित खबरे मीडिया में आती है .इस प्रकार के आनर किलिंग के मामले आते ही रहते है ........इनकी संख्या उत्तर भारत में अधिक दिखाई पड़ती है .
                                                              परम्पराओ एवं समाज के नियमो पर ये युवा कुर्बान हो जाते है .ये एक प्रकार से मानवाधिकारो का हनन है ............जब दो व्यस्क व्यक्ति अपनी मर्जी से साथ रहने का निर्णय लेते है तो उन्हें इतनी बर्बर सजा देने वाला समाज इस तरह के कदम क्यों उठाता है?..............यह समझ से परे लगता है .....................
                                                           इस प्रकार के मामलो से भारत की विश्व में साख घटती है .लेकिन सरकार ने इन समस्याओ के मद्देनजर कुछ कदम उठाये है और भारतीय दंड संहिता १८६० में कुछ संशोधन का प्रावधान भी लाने वाली है ..............जिससे इस तरह के कामो पर लगाम जरुर लगेगी .........खैर ये घटनाये समाज को जरुर प्रभावित करती है इसलिए
इस ओर कदम जरुर बढने चाहिए .........................

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

जनता का जवाब

आज माई नेम इस खान रिलीज हुई .पिछले दिनों से चल रही शिवसेना की हुडदंग बाजी पर थोड़ी लगाम लगी .......तमाम उपद्रवो एवं उत्पाद के बाद फिल्म पूरे देश में रिलीज हो गई ..................
                                                        तमाम उपद्रवो एवं धमकियों के बावजूद फिल्म मुंबई में रिलीज हुई और हॉउस फुल रही .वैसे यह सभी सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हुई .लेकिन फिर भी जहा रिलीज हुई वहा जनता ने हाथो हाथ लिया .
                                                                  यह जनता की हिम्मत और उसका जस्बा है जो धमकियों के बावजूद वह सिनेमाघरों तक पहुची और यह साबित कर दिया की वह किसी की धमकियों से डरने वाली नहीं ...........यह लोकतंत्र है यहाँ किसी पार्टी की बात मान जनता कोई निर्णय ले यह मुश्किल है ..............
                                                               वैसे देश के कुछ हिस्सों में थोड़ी कठिनाई हुई है लेकिन फिर भी आज का दिन जनता की हिम्मत ,उसके जस्बे और लोकतंत्र की मजबूत नीव के नाम रहा .................आखिर जनता जनार्दन ने निडर होकर जो कदम उठाया वह सराहनीय है ............

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

प्रेम

प्रेम तैर रहा है,
फागुन में,फागुनी बयार
के साथ,पर पता नहीं,
यह क्या है ?
प्रेम किसे कहते है ,
क्या होता है?
शायद यह दिल की
आरजू है, या दिमाग
का फितूर ,जो भी
है शायद एक अहसास है,
जिसे केवल अनुभव किया जा
सके ,अभिव्यक्त नहीं ,
शायद यह गलत है,
क्यूकि वैलेंटाइन डे जो
       आ रहा है,प्रेम प्रदर्शन
              का अनूठा .........
 ......अनोखा पर्व ,
      शायद ये प्रेम को
                     अभियक्त कर सके ...........

सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

इंटरनेट और नोबल का शांति पुरस्कार

पिछले दिनों इंटरनेट को  नोबल के शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया.यह अफवाह नहीं बल्कि सच है .यह नोबल पुरस्कार के इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी निर्जीव या गैर मानव को नामांकित किया गया है ......
                                                                यह बात थोड़ी अजीब है कि इंटरनेट को नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है .........वैसे हमे यह नहीं भूलना चाहिए की यह केवल एक व्यक्ति से न जुड़कर धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव से जुड़ा है .इंटरनेट ने विश्व में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए है. इसे हम एक वृहद समुदाय के रूप में देख सकते है जिसमे विभिन्न धर्मो के स्त्री पुरुष आपस में वार्तालाप करते है ......................
                                         इंटरनेट ने बात करने के तौर तरीको को निश्चय ही बदला है .इंटरनेट ने न  केवल विश्व में क्रान्तिकारी परिवर्तन किए है बल्कि सभी भोगौलिक सीमाओ को भी समाप्त किया है .इंटरनेट ने एक नई संस्कृति को जन्म दिया है जहा बिना किसी भेदभाव के ज्ञान का आदान प्रदान होता है.............
                                                         वैसे तो इंटरनेट ने प्रसिद्ध विचारक मार्शल मैक्लुहान की ग्लोबल विलेज की अवधारणा को चरितार्थ कर नई क्रांति पैदा की है लेकिन परेशानिया भी कम नहीं है .................नोबल का शांति पुरस्कार किसे मिलेगा यह एक तकनीकी प्रश्न है ?..................
                                        इंटरनेट ने जहा ज्ञान वर्धन का कार्य किया  है वही इसने हमारे घरो में अश्लीलता को कितनी आसानी से परोसा है .हमारे किशोरों को समय से पहले    व्यस्क बनाने में कोई क़सर नहीं छोड़ी है .......................
                                                        आप इस नामांकन के बारे में क्या सोचते है ?इंटरनेट ने आपकी जीवन शैली को किस प्रकार परिवर्तित किया है ?...............यह एक प्रश्न है आपके समक्ष कमेन्ट के जरिये आप इसे अभिव्यक्त कर सकते है ..................
                                                            
                                                     

बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

जय हो !

फरवरी की पहली तारीख को सुबह जब भारतवासियों ने आँख खोली तो, हममे से ही एक भारतीय अपनी धरती से दूर लॉस अन्ज्लेस में इतिहास रच रहा था ....................जी हाँ हम बात कर रहे है दक्षिण भारतीय कम्पोजर एवं गीतकार ए आर रहमान की जिन्हें स्लम डॉग फिल्म के गीत जय हो के लिए ग्रैमी पुरस्कार मिला .है ............
                                                                  रहमान पहले भारतीय है जिन्हें यह पुरस्कार व्यक्तिगत रूप से मिला है .४४ वर्षीय रहमान को  जय हो गीत के लिए पिछले साल आस्कर पुरस्कार मिल चुका है .गुलजार द्वारा लिखित इस गीत ने इतिहास रच दिया है ...............
                                                   १३ फिल्म फेयर,४ रास्ट्रीय,२ आस्कर एवं अन्य कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता रहमान ने भारत का गौरव बढाया है ............................ आशा है वह आगे भी भारत की शान बढायेगे ..............हमारी शुभकामनाये उनके साथ है ...........................

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

बोझ

मिट्टी भरा तसला सिर पर
लिए  खड़ी है वह
भाव विहीन चेहरा..........
गहरी आंखे जिनमे न जाने
क्या छिपा रही है.............
उसने, जो सृष्टी को
रचने वाली है ,पत्थर
के घर बनाने कि ठानी है,
उसका अंश जो धूल धूसरित
है ,उसे आँखों से ओझल
कैसे करे ,उसे और अपने
को एक डोर से बाँधने
के लिए ही तो उठा  रही है
यह बोझ ..............