भूख ,गरीबी और भ्रस्टाचार अपार है ,
रुचिका ,जेसिका और आरुषी की भरमार है ,
पंढेर,कोहली और राठोर की सरकार है ,
मृतको की आत्माओ को न्याय की दरकार है ,
न्यायपालिका को नारी न्यायाधीस का इंतजार है ,
गरीबो को थानों में शिकायत दर्ज होने की आस है ,
महगाई के कम होने की दरकार है ,
दिसम्बर की कडकडाती ठण्ड का अहसास है
फिर भी नए साल का इंतजार है .