रविवार, 5 सितंबर 2010

आज की युवा पीढ़ी से देश को कितनी आशाए ?

जनसंख्या के उस भाग को जो लगभग दस से चौबीस बरस के बीच है युवा की संज्ञा दी जाती है.हमारे देश की जनसंख्या का तकरीबन तीस फीसदी हिस्सा युवा है.भारत के लिए यह एक सकरात्मक पक्ष है,क्यूकि  जहा जापान, फ़्रांस और आस्ट्रेलिया जैसे देश अपनी बुजुर्ग होती आबादी से परेशान है वही भारत अपनी युवा आबादी के बल बूते उनसे अनेक मामलो में बढत ले सकता है.
                              

                   युवा देश की सम्पूर्ण जनसंख्या का महत्वपूर्ण अंग है.देश की आर्थिक,सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितिया इनसे प्रभावित होती है. ये युवा ही है जो देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जा सकती है.युवा के रूप हमारे देश के पास एक ऐसा संसाधन है जिसके उचित प्रयोग से अर्थव्यवस्था में क्रान्तिकारी बदलाव किए जा सकते है.
                              
       युवा न केवल देश की अर्थव्यवस्था को बल्कि सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों  को भी प्रभावित करता है. आज देश का युवा अपने प्रयासों द्वारा अनेक सामाजिक समस्याओ को समाप्त कर सकता है.सुशिक्षित एवं स्वस्थ युवा देश की जड़ो में बैठी समस्याओ को आसानी से ख़त्म कर देगा. जाति प्रथा, दहेज जैसे
बुराइया उनके प्रयास के बिना समाप्त नहीं हो सकती है. साथ ही राजनीति में उनकी सहभागिता न केवल देश की राजनीतिक
व्यवस्था को सुदृढ़ करेगी बल्कि नए कीर्तिमान भी बनाएगी.
                              
        इसके अलावा युवा पीढ़ी की कुछ समस्याए भी जो विकास की मुख्य धारा से कटे होने के कारण उपजी है जैसे नक्सलवाद ,आतंकवाद इत्यादि.इसलिए समाज एवं सरकार का कर्तव्य है की वह युवाओ का  सही मार्गदर्शन करे. सही मार्गदर्शन कर उन्हें शिक्षा का पर्याप्त अवसर एवं व्यक्तिगत विकास के लिए सुविधाए मुहैया कराए.क्यूकि देश की आशाए इन्ही पर टिकी है. यदि युवा सही राह पर चलेगे तो देश की उन्नति और प्रगति की राहे आसान होगी