रविवार, 29 अगस्त 2010

विकास और असंतोष

 पिछले दिनों दिल्ली में किसानो ने अपनी जमीनों के अधिग्रहण को लेकर प्रदर्शन किया यह खबर पूरे मीडिया में छाई हुई थी .किसान अपनी जमीन पर आपने अधिकार खोने से नाराज है दिल्ली में हुई किसान रैली इसका उदाहरण  है .........
                   देश में विकास के नाम पर बन रही सड़के ,बहुमंजिली इमारतो और सेज इत्यादि जैसे बड़ी परियोजनाओ के दौरान किसानो की जमीने बड़े पैमाने पर अधिग्रहित की जाती है .इस अधिग्रहण से विकास की राह तो आसान हो जाती है या यूँ कहे कि हमारे चमचमाते इंडिया कि तस्वीर बनी रहती है लेकिन उन गरीब किसानो का क्या जिनकी जमीने कम दामो पर खरीद ली जाती है .वे जमीने जो उनके जीने का आधार होती है या यूँ कहे कि उनका अस्तित्व  ही उन जमीनों पर निर्भर रहता है .उनके पास कही दूर दराज के गाँवो में जाकर बसने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं बचता .
                                                  विस्थापित गरीब किसान के पास से यदि मिले हुए पैसे खर्च हो जाए तो उसके पास मजदूरी के अलावा कोई उपाय नहीं बचता .इस स्थिति में वह अपने परिवार सहित सडक पर आ जाता है .              
                                                           इसके अतिरिक्त देश में जिस तरह खाद्य संकट कि समस्या आ खड़ी हुई है इस प्रकार के भूमि अधिग्रहण से वह और भी विकट रूप धारण करेगी .बढती ज्संख्या और अन्न उत्पादन हेतु भूमि का अभाव देश को भुखमरी के कगार पर ला कर खड़ा कर देगा .इसलिए यह लड़ाई न केवल किसानो कि है बल्कि खाद्य  सुरक्षा एवं पर्यावरण कि रक्षा का अभियान है .
                                   ये समस्या न केवल किसानो की है बल्कि आदिवासी भी इस समस्या से ग्रसित है .आदिवासी बहुल इलाको में आदिवासियों की जमीनों को सस्ते दामो पर हथिया कर उन्हें जंगलो के अंदर जाने पर मजबूर किया जाता है जिससे न केवल आदिवासी की समस्या बढती है बल्कि देश में पर्यावरण को भी क्षति पहुचती है .

                           इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार को पुराने भूमि अधिग्रहण कानून १८९४ में परिवर्तन कर नया भूमि अधिग्रहण कानून लाना चाहिए .यह कानून किसान की हालिया परेशानीयों को ध्यान में रख कर बनाया जाना चाहिए .कुछ परियोजनाओ में गंगा यमुना की उपजाऊ जमीन चली जाती है जो निःसंदेह ही हानिकारक है .नए कानून के अंतर्गत इस बात का विशेष ध्यान रखा जाय की बची हुई भूमि को किसानो को वापस कर दिया जाए .....भारत किसानो का देश है और हमारे देश में यदि किसान ही खुशहाल न होंगे तो देश की प्रगति मुश्किल है .
 

4 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

विचारोत्तेजक पोस्ट।

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

विचारणीय पोस्ट ... सच है पुराने क़ानून बदलने चाहिएं ... समय अनुसार परिवर्तन ज़रूरी है ...

बेनामी ने कहा…

What is your thought about the NCR region. There is lots of corruption comes from heavy money land compensation. So I think "A CHILD HAVE ONLY THAT QUANTITY OF CHOCOLATE WHICH IS EAT BY HIM NOT HIS FAMILY".

Its only my comments against
your thought .........may be false..