नारी जो भगवान की सबसे अच्छी रचना है ,
उसके विविध रूपों का चिन्तन एक सुखद अनुभव है ,
वह कही सीता कही सावित्री कही सोनिया तो कही सानिया है ,
अपाला मैत्रेयी राखी मीरा ममता और माया रूप भी लुभाते है ,
कभी दादी नानी चाची काकी मामी बुआ और माँ बनकर प्रेम बरसाती है ,
वह कभी लोपा कभी लक्ष्मी बाई कभी लोलिता तो कभी लोपेज़ है ,
कभी बहन कभी पत्नी कभी क्लास्स्मेट कभी गर्लफ्रेंड बनकर हर पल साथ निभाती है
अब नारी केवल श्रदा नही बल्कि समाज की नस नस में बसी है
1 टिप्पणी:
Jag ka nirman karne wali naari hi hai.Hum Aur aap naari ki den hai.
Jai Naari
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