ब्यूटी पार्लर शब्द अपने आप में एक संस्कृति को दिखाता है .यह संस्कृति को ही नहीं बल्कि एक प्रकार जनरेसन गैप को दिखाता है .एक हमारी दादी ,नानी और माँ की जनरेसन दूसरी हमारी .पहली को कभी इसकी जरूरत नहीं हुई पर दूसरी का इसके बगैर गुजारा नहीं है .महीने में कम से कम एक चक्कर तो लगाना ही है क्यूंकि इसके बिना हम खुद को पिछड़ा महसूस करते है .
ब्यूटी पार्लर हमे कही भी गाँवो ,कस्बो और शहरो में दिख सकते है .सस्ते से सस्ते और महगे से महंगे हो सकते है .कही एसी युक्त तो कही बिना पंखे के काम चलाना पड़ता है .पर जरूरत के काम जम के करते है .अब तो दुल्हन बनने से पहले इसके चक्कर लगाने जरुरी है नहीं तो ससुराल वाले पिछड़ा समझेंगे .........................
सहेली की शादी हो रिश्तेदारी के यंहा जाना हो उससे पहले थ्रेदिग,बिलिचिग और वैक्सिंग जरुरी है .कालेज का फैयरवेळ हो या ऑफिस की पार्टी हो तैयार होने के लिए पार्लर जाना जरुरी है .......................
.............. ................जो भी हो इस पार्लर कल्चर ने आज महिलाओ की आजादी के नए मानदंड बना दिए है .इसने उनके अंदर एक नया आत्मविश्वास पैदा किया है जो जरुरी तो नहीं लेकिन कुछ बुरा भी नहीं है .......
1 टिप्पणी:
Ye to mo maya kal ko iski ko kimat nahi nahi.
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