गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

छत्तीसगढ़ में नरसंहार

छतीसगढ़ के दंतेवाडा में नक्सलियों द्वारा ७६ जवानो की हत्या कर दी गई .छत्तीसगढ़ में हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा नक्सली  हमला है .ये ७६ जवान संख्या मात्र नहीं है बल्कि यह जीते जागते इन्सान थे जो नक्सलियों का शिकार हुए ..उन जवानो के परिजनों की दशा का अनुमान लगाया जा सकता है .ये सी आर प़ी ऍफ़ के जवान अपनी रोजी रोटी के लिए और देश की रक्षा के लिए किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तैयार हो जाते है .नक्सलियों द्वारा किया यह हमला आपरेशन ग्रीन हंट के विरोध में था.
                          नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा को इसलिए चुना क्यूंकि वंहा की दुर्गम भोगौलिक परिस्थितिया उनके लिए लाभदायक थी .नक्सली उस क्षेत्र के चप्पे चप्पे से वाकिफ होते है .इसके आलावा दंतेवाडा तीन ओर से उड़ीसा आंध्र प्रदेश और महारास्ट्र से घिरा हुआ है जिससे नक्सली हमले के बाद भागने में सफल होंगे .इसके विपरीत जवानो को उन जंगलो के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है .
                                         इसे नक्सलियों का प्रतिवाद कहा जा सकता है .उन्होंने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को चुनौती है भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के यह एक बड़ी घटना है .सरकार को इन घटनाओ से सबक लेते हुए आगे उचित रणनीति बनाकर इस समस्या को हल करना चाहिए .दंतेवाडा की इस घटना ने यह साबित कर दिया है इस समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है .
                                        दंतेवाडा की घटना ने भारतीय ख़ुफ़िया तंत्र की असफलता और इस मसले पर केंद्र और सरकार के बीच तालमेल के अभाव को सामने ला दिया है .यदि इसे देश में एक सामाजिक समस्या के रूप देखा जाता है तो इसका दूसरा पहलू यह है की राज्य सरकारों का ढुलमुल रवैया भी इसके लिए जिम्मेदार है .कई बार राज्य के बड़े नेता इन नक्सलियों के साथ सहानुभूति पूर्ण बर्ताव करते है बदले में उन्हें वोट मिलते है .राज्यों के बीच सहयोग के अभाव में अभाव में नक्सली एक राज्य में वारदात को अंजाम दे दुसरे राज्य में पलायन कर जाते है जिससे उनके खिलाफ कारवाई करना मुश्किल हो जाता है.
अब वक्त आ गया है सरकार एक ऐसे योजना बनाए जिससे इस समस्या को खत्म किया जा सके .

2 टिप्‍पणियां:

Dev ने कहा…

अब वक्त आगया है कि सरकार ..नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ कर फेक दे .....लेकिन कि सरकार कब सो कर जागती है

दिव्यांशु ने कहा…

प्रशासनिक-राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है वर्ना यह समस्या कबका हल हो जाता।खैर अभी भी देर नहीं हुई है।सरकार नक्सलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए।साथ ही देश में हो रहे असामान्य विकास की समस्या को दूर कर उन इलाकों को,जो विकास से कोसो दूर हैं,मुख्यधारा में लाएं।इससे समस्या का हल हो सकेगा।