बसंत आया
यह कैसा बसंत आया
कोहरे में लिपटा बसंत
जिसमे न तो धूप की गरमाहट है
न ही फगुई बयार
बसंत जिसमे एक आशा होती है
एक संचार होता है, जीवंत संचार
जो महीनो से जमे हुए
अहसास को पिघलाता है
लेकिन वह बसंत कहा है?
लोग कहते है यह ग्लोबल वार्मिंग
का असर है...........
रितुये अपना समय बदल रही है.........
पता नहीं यह क्या है? बसंत तो नहीं है,
बसंत होता तो है, लेकिन पता नहीं
कहा है ?
आओ खोजे उस बसंत को
जो छुप गया है जाने कहा
उसे खोजे
हम अपने गलियों सडको बाजारों में ........
जाने वह कहा मिल जाए
वह बसंत जिसे हम
खोज रहे है ........
3 टिप्पणियां:
रहन सहन बदला , मौसम बदला और बसंत कहीं खो गया
shayad delhi mein vasant aisa hoga,yaha cutttack mein toh ekdam classical vasant aaya hai,jaisa Kalidas ke time aata tha
vasat to vasant hai.usaka swagat krana hi ho ga .ritupati jo thhara.
एक टिप्पणी भेजें