एक गली जहाँ मुड़ती है,वहा रुक कर एक बार हम सोचते हैं अपने,अपनों और दुनिया के बारे में ...........,बस यही कुछ बाते आपसे बाँटना चाहती हूँ ..........
शनिवार, 2 जनवरी 2010
क्या कंहू परीक्षा है
क्या कंहू परीक्षा है
जिसके प्रति मेरी अनिच्छा है
पिछले साल के अध्धयन की समीक्षा है
एक नौकरी और धन की प्रतीक्षा है
जो कभी खत्म न हो ऐसी इच्छा है
अपने अस्तित्व की करनी जो रक्षा है
क्या कंहू परीक्षा है
3 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना हाई।बधाई।
Darwin ke Survival of the fittest ki yaad aa gai,bahut kubh
Kya khoob kaha hai aapne ek pariska ke baare mein. Lekin dekha jaye to Jindagi bhi ek pariska hai.
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